चौरासी या पच्चासी मंदिर
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अक गल मना मंज पुडदी हा
इंदे बजुर्गे गलती करूरी हा
चौरासी मंज पच्चसीवा मंदिर
ते मंदिरा मंज भी मूर्ति रखूरी हा
असे भगवाना री पूजा करदे ने भाइयो
मनू री पूजा न भुंदी धर्मा मंज
समाधी ता हाउदर भी बनी सकदी थी
के जगह मुकी गई थी भरमौरा मंज
मंदिरा कनारी मुंह करा सब
जने भी भगवाना री पूजा करदे हिन
कजो समाधि कनारी मुंह करी करी
सब संझा आरती करदे हिन
सोचा जरूर मेरी गल्ला जो
के मेरी गल्ला मंज सच्चाई हा
खरी न लगी ता पुछी लेया बजुर्गा जो
पुछने मंज भला के बुराई हा
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
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