भरमौरा री जात्रा
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जात्रा हेरी पर होर जिनि थी वजा
भीड ता मती थी पर मजा ना आ
चोले डोरे वाले ता बडे ही घट थीए
कजो करना लगूरे कल्चरा सोगी दगा
----------- मिलाप सिंह भरमौरी
This is a place for original kavita , bhajan and shayari of of Milap Singh Bharmouri written in Gaddi boli. Gaddi boli is also known as bharmouri boli which is branch of pahadi boli. this blog is totally enriched with bharmouri culture and bharmour images.
भरमौरा री जात्रा
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जात्रा हेरी पर होर जिनि थी वजा
भीड ता मती थी पर मजा ना आ
चोले डोरे वाले ता बडे ही घट थीए
कजो करना लगूरे कल्चरा सोगी दगा
----------- मिलाप सिंह भरमौरी
मणिमहेश ट्रस्ट
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श्रद्धा के लिए कोई भय नहीं है
श्रद्धा के लिए दिन तय नहीं है
रिवाजों के लिए दिन बने हैं
भक्ति के लिए दिन तय नहीं है
देखो आज भी जा रहे हैं मतवाले
भोले के दर्शन के दिवाने
मणिमहेश की ओर चले हैं
होकर सारे खतरों से अनजाने
यात्रा का कोई संचालक नहीं हैं
विपत्ति में कोई तारक नहीं हैं
बिस्तर में सिमट के बैठ गए हैं
सारा चढावा चट करने वाले
अब पुरानी व्यवस्था बदलनी होगी
एक जिम्मेदार ट्रस्ट की स्थापना करनी होगी
जो करवा सके लगातार यात्रा का संचालन
सब लोगों को हामी भरनी होगी
मणिमहेश झील बनवाई पांडवों ने
आज्ञातबास के दौरान
भरमौर के मंदिर बनवाए राजा ने
देश हो गया कब का आजाद
फिर भी मंदिरों का संचालन
क्यों है पहले जैसा आज
दान चढावा सब ट्रस्ट को दो
और पुजारी चेलों को सिर्फ भत्ता दो
तभी हो सकेगा नव व्यवस्था का निर्माण
और जो खडे चढावे की लाईन में
उनकी ओर करो न तनिक ध्यान
तभी भक्तों को सुविधाएं मिल पाएगी
और छ: महीने के लिए
तभी यात्रा खुल पाएगी
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
णुहा न बनदी धियुआ कदी
भौंए लाई लेया ललड लपड
अपना जिना रंग दसिए गंदी
लाई गंदी अकली रा थप्पड
बस अपना टैम तू कट मिलापा
बनी करी दुनिया मंज जक्कर
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
मेरी कविता तांए तुसे ऐस पेजा जो लाइक करा ।
चौरासी या पच्चासी मंदिर
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अक गल मना मंज पुडदी हा
इंदे बजुर्गे गलती करूरी हा
चौरासी मंज पच्चसीवा मंदिर
ते मंदिरा मंज भी मूर्ति रखूरी हा
असे भगवाना री पूजा करदे ने भाइयो
मनू री पूजा न भुंदी धर्मा मंज
समाधी ता हाउदर भी बनी सकदी थी
के जगह मुकी गई थी भरमौरा मंज
मंदिरा कनारी मुंह करा सब
जने भी भगवाना री पूजा करदे हिन
कजो समाधि कनारी मुंह करी करी
सब संझा आरती करदे हिन
सोचा जरूर मेरी गल्ला जो
के मेरी गल्ला मंज सच्चाई हा
खरी न लगी ता पुछी लेया बजुर्गा जो
पुछने मंज भला के बुराई हा
-------- मिलाप सिंह भरमौरी