सिद्दे रा भुंदा नराण वो भाईया
अज्ज मुलू हा ज्ञान वो भाईया
पैडी ताऊं ओसदे लुडी पैऊ थू
मसे बचे हिन प्राण वो भाईया
---मिलाप सिंह भरमौरी
This is a place for original kavita , bhajan and shayari of of Milap Singh Bharmouri written in Gaddi boli. Gaddi boli is also known as bharmouri boli which is branch of pahadi boli. this blog is totally enriched with bharmouri culture and bharmour images.
सिद्दे रा भुंदा नराण वो भाईया
अज्ज मुलू हा ज्ञान वो भाईया
पैडी ताऊं ओसदे लुडी पैऊ थू
मसे बचे हिन प्राण वो भाईया
---मिलाप सिंह भरमौरी
तरडियां पुटदे
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कल बडी भरी
रुचुआं बरखा पैई
चुकी लै कुदालू ते
बेलचा कैई
चल भैठी जाई के
तरडियां पुटदे
होंदी नी सब्जी कोई
इसदे जैई
बिना पैसे तो
मिली जांदी ऐ
फैदे भी होंदे
इसदे कई
बडी निरोगी होंदीए ऐह
स्वाद भी लगदा
मीटे सेंई
कल ढावा पुर
दिखी थी इक बेल पुरानी
जोर बी ज्यादा
लगना नैई
----मिलाप सिंह भरमौरी
ढेर लगी गे हिंयूआ रे
ही ही अंम्बरे करू कमाल
चांदी ए चांदी हुजदा सारे
सेओ भूने खरे ऐस साल
भित्त चढाई चुल भखाई
रखी लेयू नेडे हुंगरी रा थाल
देसी रे पैगा पुर पैग बनाए
भजी तरुटी गे फिरी गमा रे डाल
---- मिलाप सिंह भरमौरी
करी लैऊ घा मैई
बेला तै बसूटी वाला
खैईर ते कैंईथ
गरने रे जाडा वाला
इस बारी हौद
बदिया नकैई गाणा
खुल्ले ने वन
बूटे री उजाड निया
पाल वी अपना
डाकने जो हौ बियां
बंज्जा री वल्ली पुर
टपरी बनाई लैनी
फौजी वाली उप्पर
तरपाल पाई लैनी
धने मेरे ऐस बारी
शीसे सांई लिश्कना
भेडा मेरी हेरी करी
सब्बी जिने हिरखना
---- मिलाप सिंह भरमौरी
निकू शुकू वाले मणू जे भाईयो
हथ पान सकूले पढदी कुली जो
इने जिने मनू रा धर्म इमाम
समझि लेया सब कुछ चिक्का मा रुली गो
सो मणु न रेऊरा , भूत बनी गछूरा
भंग शराब तसेरे खूना मंज रली गछूरा
न दीनी चैंईधी कसी जो तसेरी धडैईत
काला मुंह करी करनी चैंईधी शितर परैड
भैउरे मणु जने ऐरा उरा मुंह मारदे
बसुरा बसूरा कसी रा घर उजाडदे
चुप न रैहना चैंईदा तनै गरां वाले जो
विरोध करना तनै मिली करी सबी जो
इन्हें जिन्हे मणु दुश्मन ने समाजा रे
कोई भी भुची सकदा ईंयारा शिकार
हुक्का पानी बंद करी करी ईया जो
पैणी चैंइदी वरादरी तांऊ लताड
------- मिलाप सिंह भरमौरी
अंदर गरडू बार रजाई
हौंदा री ठंडी रित चली आई
हिंयू री खला मंज गन्नी लगनी
वना तांऊ गिची करी लेई इंदे जंगनी
द्रीली भुज्जी भुज्जी चा सोगी खानी
घंडौली री तिल्ली तै कुकडी भुजानी
ठारी ठारी पुर भाईयो टन्ननन जे लगनी
फिरी जमी गाना नलके रा बगदा पानी
------ मिलाप सिंह भरमौरी
भरमौरा री जात्रा
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जात्रा हेरी पर होर जिनि थी वजा
भीड ता मती थी पर मजा ना आ
चोले डोरे वाले ता बडे ही घट थीए
कजो करना लगूरे कल्चरा सोगी दगा
----------- मिलाप सिंह भरमौरी
मणिमहेश ट्रस्ट
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श्रद्धा के लिए कोई भय नहीं है
श्रद्धा के लिए दिन तय नहीं है
रिवाजों के लिए दिन बने हैं
भक्ति के लिए दिन तय नहीं है
देखो आज भी जा रहे हैं मतवाले
भोले के दर्शन के दिवाने
मणिमहेश की ओर चले हैं
होकर सारे खतरों से अनजाने
यात्रा का कोई संचालक नहीं हैं
विपत्ति में कोई तारक नहीं हैं
बिस्तर में सिमट के बैठ गए हैं
सारा चढावा चट करने वाले
अब पुरानी व्यवस्था बदलनी होगी
एक जिम्मेदार ट्रस्ट की स्थापना करनी होगी
जो करवा सके लगातार यात्रा का संचालन
सब लोगों को हामी भरनी होगी
मणिमहेश झील बनवाई पांडवों ने
आज्ञातबास के दौरान
भरमौर के मंदिर बनवाए राजा ने
देश हो गया कब का आजाद
फिर भी मंदिरों का संचालन
क्यों है पहले जैसा आज
दान चढावा सब ट्रस्ट को दो
और पुजारी चेलों को सिर्फ भत्ता दो
तभी हो सकेगा नव व्यवस्था का निर्माण
और जो खडे चढावे की लाईन में
उनकी ओर करो न तनिक ध्यान
तभी भक्तों को सुविधाएं मिल पाएगी
और छ: महीने के लिए
तभी यात्रा खुल पाएगी
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
णुहा न बनदी धियुआ कदी
भौंए लाई लेया ललड लपड
अपना जिना रंग दसिए गंदी
लाई गंदी अकली रा थप्पड
बस अपना टैम तू कट मिलापा
बनी करी दुनिया मंज जक्कर
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
मेरी कविता तांए तुसे ऐस पेजा जो लाइक करा ।
चौरासी या पच्चासी मंदिर
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अक गल मना मंज पुडदी हा
इंदे बजुर्गे गलती करूरी हा
चौरासी मंज पच्चसीवा मंदिर
ते मंदिरा मंज भी मूर्ति रखूरी हा
असे भगवाना री पूजा करदे ने भाइयो
मनू री पूजा न भुंदी धर्मा मंज
समाधी ता हाउदर भी बनी सकदी थी
के जगह मुकी गई थी भरमौरा मंज
मंदिरा कनारी मुंह करा सब
जने भी भगवाना री पूजा करदे हिन
कजो समाधि कनारी मुंह करी करी
सब संझा आरती करदे हिन
सोचा जरूर मेरी गल्ला जो
के मेरी गल्ला मंज सच्चाई हा
खरी न लगी ता पुछी लेया बजुर्गा जो
पुछने मंज भला के बुराई हा
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
भरमौर को समृद्ध बनाने के लिए
और हिन्दू धर्म में आस्था
बढाने के लिए
मणिमहेश यात्रा की अवधि
बढाना जरूरी है
पर इसमें प्रशासन की भी
क्या मजबूरी है
मणिमहेश यात्रा
जून से लेकर अक्टूबर तक
बडी आसानी से चल सकती है
भक्तों की टोलियाँ
दुनिया के दुर्लभ पंचमुखी
प्राकृतिक शिवलिंग के
दर्शन कर सकती हैं
पर्यटन को बढाने से
भरमौर का ही नहीं
पूरे हिमाचल में विकास बढेगा
देवभूमि की आबोहवा में
हिन्दू धर्म का
और भी प्रकाश बढेगा
सिर्फ सडकों की ही
तो कमी है
और पार्किंग की उचित
व्यवस्था नहीं है
सब कुछ बदल सकता है
अगर इस ओर थोडा सा
ध्यान आ जाए
बस इइतने में ही इलाके में
विकास का उफान आ जाए
----- मिलाप सिंह भरमौरी
भोले के जयकारों से गूँज रही
भरमौर की पवित्र नगरी
माहौल खराब करने में
जुटे हुए है एच पी पी के प्रहरी
नशे में धुत बिन वर्दी के
बरसा रहे निहत्थों पर दंडे
लगता है शांत स्थल को देख कर
हो गए हैं यह नौसिखिए अंधे
रात के दो बजे बंद कर दिया
चौरासी का मुख्य द्वार
क्या इनके अधिकारियों ने
पढा नहीं है कबीले का सभ्याचार
सिर्फ बीस दिन की जिम्मेदारी
को भी यह नहीं निभा पा रहे हैं
बडे बडे बादे में जो
भरमौर को पर्यटन नगरी बना रहे हैं
अभी तो तीन लाख भक्त ही आए हैं
अभी से यह बौखला गए हैं
अगर तीन महीने के लिए
मणिमहेश यात्रा का जिम्मा लेना पडा तो
सोचो इनका क्या हाल हो जाएगा
-------- मिलाप सिंह भरमौरी
( मणिमहेश यात्रा को अगले साल से तीन महीनों के लिए खोला जाना चाहिए। ताकि अधिक से अधिक भक्त पंचमुखी प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन कर सके। )
इची पुज्जू भरमौर
लगी गे न बडे लहौर
मिट्ठे हिन बडे सेऊ
खाने असू बडे खौड
गाणा असू डला जो
पुण कमाना
हेरा पुर लानी टोपी
चोला डोरा लाना
चौरासी मंज हंडना
ते जात्रा भी हेरनी
पैतर गुछूरी भेडा
उटालनी ते केरनी
----- मिलाप सिंह भरमौरी
ओ लैणी छुट्टी दस बारा मु
ते मेला हेरना
ते गाणा मनीमेषा जो
ऐ जन्म सुधारना
ओ चोला डोरा लाई के
भ्याली मंज हंडना
फराटी लाई लाई के फिरी
दिन प्यारा लंगना
दर्शन माता भरमानी रे
कुफरी रे गोते ओ
ओ सुरगा ते मेरेया
सब कुछ चेते ओ
अक फेरा लाना केलंगाली रा
ते वन्नी जो भी हेरले
ओ मते रोज होई गे
' मिलाप 'तुजो ता सोचदे
---- मिलाप सिंह भरमौरी
हड्ड फुकी दित्ते गर्मिए भाईयो
ईठी किंया करी टैम गुजारना दस्सा
हड -हड ,हड -हड बग्दा पसीना
अम्बरा ताऊ बरदी न जली गई बरखा
राती सूतुरे लैटा रे कट जे लगदे
याद बडा इंदा तू मेरेया ठंडेया मुल्खा
--- मिलाप सिंह भरमौरी
ऐत बडी भरी गर्मी
लगदीआ भाईयो!
गच भूची गंदे औडन
पसीने सोगी !
खरे कर्म कमौउरे ने
घदेरना वालेओ!
तुसू ताउ होर न
भूना हा कोई मौजी!
~ milap singh bharmouri ~
पीली -पीली सरयां फुल्ली!
फुल्ले आडुआं दे डाल!!
जीने जा मजा होर ही हौंदा!
जे हौंदा तू मेरे नाल!!
इक बारी आई जा तू!
हां इक बारी आई जा तू!!
~ milap singh bharmouri ~