जे मेरी गल मनेगा तू प्रीता तां लानी।
नई ता मेरी न तेरी तूं जानी।।
चूल्हा चौका भी बराबर करना ए ।
रोटियां पकानी मैं छिड़ियां तू लानी।।
भांडे टिंडे भी बराबर करने ने।
भांडे मांजने मैं छलनी तू लानी।।
डंगर बछु भी बराबर करने ने ।
घा बड़ना ए मैं त्योडी तू लानी।।
संबलू सोता भी बराबर करना ए।
रोटियां सेकनी मैं फूका तू लानी।।
.....मिलाप सिंह भरमौरी।