milap singh bharmouri

milap singh bharmouri

Saturday, 27 December 2014

मसे बचे प्राण

सिद्दे रा भुंदा नराण वो भाईया
अज्ज मुलू हा ज्ञान वो भाईया
पैडी ताऊं ओसदे लुडी पैऊ थू
मसे बचे हिन प्राण वो भाईया

      ---मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 18 December 2014

तरडियां पुटदे

तरडियां पुटदे
@@@@@@

कल बडी भरी
रुचुआं बरखा पैई
चुकी लै कुदालू ते
बेलचा कैई

चल भैठी जाई के
तरडियां पुटदे
होंदी नी सब्जी कोई
इसदे जैई

बिना पैसे तो
मिली जांदी ऐ
फैदे भी होंदे
इसदे कई

बडी निरोगी होंदीए ऐह
स्वाद भी लगदा
मीटे सेंई

कल ढावा पुर
दिखी थी इक बेल पुरानी
जोर बी ज्यादा
लगना नैई

----मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 15 December 2014

हिंउआ रे ढेर

ढेर लगी गे हिंयूआ रे
ही ही अंम्बरे करू कमाल

चांदी ए चांदी हुजदा सारे
सेओ भूने खरे ऐस साल

भित्त चढाई चुल भखाई
रखी लेयू नेडे हुंगरी रा थाल

देसी रे पैगा पुर पैग बनाए
भजी तरुटी गे फिरी गमा रे डाल

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 20 November 2014

करी लैउ घा

करी लैऊ घा मैई
बेला तै बसूटी वाला
खैईर ते कैंईथ
गरने रे जाडा वाला
इस बारी हौद
बदिया नकैई गाणा

खुल्ले ने वन
बूटे री उजाड निया
पाल वी अपना
डाकने जो हौ बियां

बंज्जा री वल्ली पुर
टपरी बनाई लैनी
फौजी वाली उप्पर
तरपाल पाई लैनी

धने मेरे ऐस बारी
शीसे सांई लिश्कना
भेडा मेरी हेरी करी
सब्बी जिने हिरखना

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 16 November 2014

निकू शुकू वाला

निकू शुकू वाले मणू जे भाईयो
हथ पान सकूले पढदी कुली जो
इने जिने मनू रा धर्म इमाम
समझि लेया सब कुछ चिक्का मा रुली गो

सो मणु न रेऊरा , भूत बनी गछूरा
भंग शराब तसेरे खूना मंज रली गछूरा
न दीनी चैंईधी कसी जो तसेरी धडैईत
काला मुंह करी करनी चैंईधी शितर परैड

भैउरे मणु जने ऐरा उरा मुंह मारदे
बसुरा बसूरा कसी रा घर उजाडदे
चुप न रैहना चैंईदा तनै गरां वाले जो
विरोध करना तनै मिली करी सबी जो

इन्हें जिन्हे मणु दुश्मन ने समाजा रे
कोई भी भुची सकदा ईंयारा शिकार
हुक्का पानी बंद करी करी ईया जो
पैणी चैंइदी वरादरी तांऊ लताड

        ------- मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 2 November 2014

हिंयू री रित


अंदर गरडू बार रजाई
हौंदा री ठंडी रित चली आई
हिंयू री खला मंज गन्नी लगनी
वना तांऊ गिची करी लेई इंदे जंगनी

द्रीली भुज्जी भुज्जी चा सोगी खानी
घंडौली री तिल्ली तै कुकडी भुजानी
ठारी ठारी पुर भाईयो टन्ननन जे लगनी
फिरी जमी गाना नलके रा बगदा पानी

     ------ मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 11 September 2014

Bharmoura ri jatra

भरमौरा री जात्रा
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जात्रा  हेरी  पर  होर  जिनि  थी  वजा
भीड  ता  मती  थी  पर  मजा  ना  आ
चोले  डोरे  वाले ता बडे  ही  घट  थीए
कजो  करना लगूरे  कल्चरा सोगी दगा

----------- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 9 September 2014

मणिमहेश ट्रस्ट

मणिमहेश ट्रस्ट
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श्रद्धा के लिए कोई भय नहीं है
श्रद्धा के लिए दिन तय नहीं है
रिवाजों के लिए दिन बने हैं
भक्ति के लिए दिन तय नहीं है

देखो आज भी जा रहे हैं मतवाले
भोले के दर्शन के दिवाने
मणिमहेश की ओर चले हैं
होकर सारे खतरों से अनजाने

यात्रा का कोई संचालक नहीं हैं
विपत्ति में कोई तारक नहीं हैं
बिस्तर में सिमट के बैठ गए हैं
सारा चढावा चट करने वाले

अब पुरानी व्यवस्था बदलनी होगी
एक जिम्मेदार ट्रस्ट की स्थापना करनी होगी
जो करवा सके लगातार यात्रा का संचालन
सब लोगों को हामी भरनी होगी

मणिमहेश झील बनवाई पांडवों ने
आज्ञातबास के दौरान
भरमौर के मंदिर बनवाए राजा ने
देश हो गया कब का आजाद
फिर भी मंदिरों का संचालन
क्यों है पहले जैसा आज

दान चढावा सब ट्रस्ट को दो
और पुजारी चेलों को सिर्फ भत्ता दो
तभी हो सकेगा नव व्यवस्था का निर्माण
और जो खडे चढावे की लाईन में
उनकी ओर करो न तनिक ध्यान

तभी भक्तों को सुविधाएं मिल पाएगी
और छ: महीने के लिए
तभी यात्रा खुल पाएगी

-------- मिलाप सिंह भरमौरी

Sunday, 7 September 2014

णुहा न बनदी धियुआ

णुहा न बनदी धियुआ कदी
भौंए लाई लेया ललड लपड
अपना जिना रंग दसिए गंदी
लाई गंदी अकली रा थप्पड
बस अपना टैम तू कट मिलापा
बनी करी दुनिया मंज जक्कर

-------- मिलाप सिंह भरमौरी

मेरी कविता तांए तुसे ऐस पेजा जो लाइक करा ।

चौरासी या पच्चासी मंदिर

चौरासी या पच्चासी मंदिर
@@@@@@@@@@@@

अक गल मना मंज पुडदी हा
इंदे बजुर्गे गलती करूरी हा
चौरासी मंज पच्चसीवा मंदिर
ते मंदिरा मंज भी मूर्ति रखूरी हा

असे भगवाना री पूजा करदे ने भाइयो
मनू री पूजा न भुंदी धर्मा मंज
समाधी ता हाउदर भी बनी सकदी थी
के जगह मुकी गई थी भरमौरा मंज

मंदिरा कनारी मुंह करा सब
जने भी भगवाना री पूजा करदे हिन
कजो समाधि कनारी मुंह करी करी
सब संझा आरती करदे हिन

सोचा जरूर मेरी गल्ला जो
के मेरी गल्ला मंज सच्चाई हा
खरी न लगी ता पुछी लेया बजुर्गा जो
पुछने मंज भला के बुराई हा

-------- मिलाप सिंह भरमौरी

Monday, 25 August 2014

मणिमहेश यात्रा

भरमौर को समृद्ध बनाने के लिए
और हिन्दू धर्म में आस्था
बढाने के लिए
मणिमहेश यात्रा की अवधि
बढाना जरूरी है
पर इसमें प्रशासन की भी
क्या मजबूरी है

मणिमहेश यात्रा
जून से लेकर अक्टूबर तक
बडी आसानी से चल सकती है
भक्तों की टोलियाँ
दुनिया के दुर्लभ पंचमुखी
प्राकृतिक शिवलिंग के
दर्शन कर सकती हैं

पर्यटन को बढाने से
भरमौर का ही नहीं
पूरे हिमाचल में विकास बढेगा
देवभूमि की आबोहवा में
हिन्दू धर्म का
और भी प्रकाश बढेगा

सिर्फ सडकों की ही
तो कमी है
और पार्किंग की उचित
व्यवस्था नहीं है
सब कुछ बदल सकता है
अगर इस ओर थोडा सा
ध्यान आ जाए
बस इइतने में ही इलाके में
विकास का उफान आ जाए

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Saturday, 23 August 2014

मणिमहेश

भोले के जयकारों से गूँज रही
भरमौर की पवित्र नगरी
माहौल खराब करने में
जुटे हुए है एच पी पी के प्रहरी

नशे में धुत बिन वर्दी के
बरसा रहे निहत्थों पर दंडे
लगता है शांत स्थल को देख कर
हो गए हैं यह नौसिखिए अंधे

रात के दो बजे बंद कर दिया
चौरासी का मुख्य द्वार
क्या इनके अधिकारियों ने
पढा नहीं है कबीले का सभ्याचार

सिर्फ बीस दिन की जिम्मेदारी
को भी यह नहीं निभा पा रहे हैं
बडे बडे बादे में जो
भरमौर को पर्यटन नगरी बना रहे हैं

अभी तो तीन लाख भक्त ही आए हैं
अभी से यह बौखला गए हैं
अगर तीन महीने के लिए
मणिमहेश यात्रा का जिम्मा लेना पडा तो
सोचो इनका क्या हाल हो जाएगा

-------- मिलाप सिंह भरमौरी

( मणिमहेश यात्रा को अगले साल से तीन महीनों के लिए खोला जाना चाहिए। ताकि अधिक से अधिक भक्त पंचमुखी प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन कर सके। )

Monday, 18 August 2014

इची पुज्जू भरमौर

इची पुज्जू भरमौर
लगी गे न बडे लहौर
मिट्ठे हिन बडे सेऊ
खाने असू बडे खौड

गाणा असू डला जो
पुण कमाना
हेरा पुर लानी टोपी
चोला डोरा लाना

चौरासी मंज हंडना
ते जात्रा भी हेरनी
पैतर गुछूरी भेडा
उटालनी ते केरनी

----- मिलाप सिंह भरमौरी

Tuesday, 17 June 2014

दस बारा छुट्टी

ओ लैणी छुट्टी दस बारा मु
ते मेला हेरना
ते गाणा मनीमेषा जो
ऐ जन्म सुधारना

ओ चोला डोरा लाई के
भ्याली मंज हंडना
फराटी लाई लाई के फिरी
दिन प्यारा लंगना

दर्शन माता भरमानी रे
कुफरी रे गोते ओ
ओ सुरगा ते मेरेया
सब कुछ चेते ओ

अक फेरा लाना केलंगाली रा
ते वन्नी जो भी हेरले
ओ मते रोज होई गे
' मिलाप 'तुजो ता सोचदे

---- मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 29 May 2014

ठंडेया मुल्खा

हड्ड फुकी दित्ते गर्मिए भाईयो

ईठी किंया करी टैम गुजारना दस्सा

हड -हड ,हड -हड बग्दा पसीना

अम्बरा ताऊ बरदी न जली गई बरखा

राती सूतुरे लैटा रे कट जे लगदे

याद बडा इंदा तू मेरेया ठंडेया मुल्खा

         --- मिलाप सिंह भरमौरी

Thursday, 1 May 2014

घदेरना वाले

ऐत बडी भरी गर्मी
लगदीआ भाईयो!

गच भूची गंदे औडन
पसीने सोगी !

खरे कर्म कमौउरे ने
घदेरना वालेओ!

तुसू ताउ होर न
भूना हा कोई मौजी!

~ milap singh bharmouri ~

Monday, 10 March 2014

भेत पनशेन

धौरा मेरा नोईंया

नणैली भागसेन!

घौडे मलहौरी....

ते हौरी मलकान...!!

~ milap singh bharmouri ~

आपना गाम

पंज -फुल्लीऐ छाई ले

खवला दे मैदान

जिथू खुर पुटी पुटी घुलदे थे

झौटे ते दांद

बनांदे थे कडा कदी

मिली के ग्वाल

' मिलाप ' पता नई किथू गे

हुण ओ अपने गांम.....

~ milap singh bharmouri ~

Monday, 24 February 2014

पीली -पीली सरया

पीली -पीली सरयां फुल्ली!
फुल्ले आडुआं दे डाल!!

जीने जा मजा होर ही हौंदा!
जे हौंदा तू मेरे नाल!!

इक बारी आई जा तू!
हां इक बारी आई जा तू!!

~ milap singh bharmouri ~